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Showing posts from January, 2020

दिल्ली की एक मामूली सी बरसाती में जन्मी भारत की मशहूर इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनी

कामयाब लोग अपने फैसलों से दुनियाँ बदलने की ताक़त रखते हैं, वहीँ नाकामयाब लोग अपने फैसले बदलते रह जाते हैं। कुछ ऐसे ही अडिग इरादों के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत की छवि निखारने में देश के मशहूर उद्यमी और HCL ग्रुप के संस्थापक शिव नाडर सफल हुए हैं। आज इन्हीं के अथक प्रयास से भारत कंप्यूटर जगत में अपनी एक ख़ास जगह बना पाया है। साल 1975 की बात है जब दिल्ली की डीसीएम् कंपनी के कैलकुलेटर डिवीज़न के कुछ युवा इंजीनियरों ने अपने कैंटीन में बैठे बैठे काम से सम्बंधित समस्याओं पर चर्चा करते हुए एक ऐसा फैसला लिए जिसने आगे चलकर समूचे देश की तक़दीर ही बदल कर रख दी। ये सभी इंजीनियर अपनी नौकरी से संतुष्ट नहीं थे और इनका मन कुछ नया करने के लिए इन्हें झकझोर रहा था।  जिस व्यक्ति ने इस विचार को जन्म दिया उनका नाम था शिव नाडार। यही वे व्यक्ति हैं जिन्होंने दिल्ली के एक मामूली से बरसाती से शुरुआत कर आज कंप्यूटर जगत में अपनी साख बनाई है। अपने पांच घनिष्ट मित्रों सर्वश्री अर्जुन मल्होत्रा, अजय चौधरी, योगेश वैद्य, एस रमन, महेंद्र प्रताप और सुभाष अरोरा के साथ कंधे से कन्धा

60% शारीरिक विकलांगता के बावजूद बनी IAS अधिकारी : Nothing is impossible

"मंज़िलें चाहे कितनी भी ऊंची क्यों न हों, रास्ते हमेशा हमारे क़दमों तले ही होते हैं" - इस प्रेरक प्रसंग से प्रेरित होकर इरा सिंघल ने अपनी शारीरिक विकलांगता को हराते हुए जीवन की बुलंदियों को छू लिया है। इरा सिंघल पहली ऐसी महिला हैं जो शारीरिक रूप से 60% विकलांग होते हुए भी साल 2014 की UPSC की परीक्षा में प्रथम स्थान पर रहीं। यूं तो UPSC द्वारा आयोजित सिविल सर्विसेस की परीक्षाओं की passing percentage बमुश्किल 0.30% ही हो पाती है लेकिन जिनके हौसले बुलंद होते हैं, सफलता उन्हीं के क़दम चूमती है। साल 2014 की UPSC की परीक्षा की नतीजे कुछ ख़ास थे क्योंकि इसके पहले चार स्थानों में महिलाओं ने ही बाज़ी मारी थी और उससे भी विशेष बात ये थी की पहले स्थान पर आने वाली महिला शारीरिक रूप से 60% विकलांग थी। ये थीं मेरठ की इरा सिंघल जिन्होंने ये साबित कर दिखाया की मेहनत और बुलंद हौसलों की आगे विकलांगता भी अपने घुटने टेक देती है। इरा को अपनी विकलांगता की कारण कई कठिनाईओं का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी। रीढ़ की हड्डियों की गंभीर बिमारी Scoliosis से जूझती इरा कभी डॉ

संगीत के क्षेत्र में भारत को पहली बार दिलाया ऑस्कर पुरस्कार

अपनी शास्त्रीय पद्धिति के कारण भारतीय संगीत का दबदबा विश्व विख्यात है। साथ ही हमारे संगीतकारों ने अपनी रचनाओं द्वारा अपनी एक अलग पहचान भी बनाई है। इन्हीं संगीतकारों में AR Rahman एक ऐसी विभूति हैं जिन्होंने अपनी रचनाओं में पश्चिमी संगीत के मिश्रण से एक अनोखी शैली अपनाकर संगीत की दुनियां में तहलका मचा दिया है और आज वे भारत के पहले ऐसे संगीतकार हैं जिन्हें Academy Award और Grammy Award से भी सम्मानित किया जा चुका है।  AR Rahman के पिता तमिल एवं मलयालम फिल्मों में संगीत देते थे इसलिए इन्हें बचपन से ही संगीत का माहौल मिला। लेकिन जल्दी ही इनके सर से पिता का साया उठ गया। इसके बाद तो इनके परिवार पर मानों मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। इनके पिता के वाद्य यंत्रों को किराये पर देकर इनकी माँ ने किसी तरह अपने परिवार की नैया को आगे बढ़ाया।  रहमान भी अपनी पढ़ाई-लिखाई छोड़, छोटे-मोटे Musical Band में काम करने लगे। इनकी प्रतिभा को देखते हुए मशहूर संगीतकार इलयाराजा ने इन्हें अपने साथ जोड़ लिया और मात्र 11 साल की उम्र में रहमान ने मलयालम फिल्मों से अपने संगीत का सफर शुरू किया।  तभी एक और बड़ी मुसीबत इन

बाल श्रमिकों की मुक्ति का मसीहा नोबेल शांति पुरुस्कार से सम्मानित

आधुनिक दौर के इस युग में बच्चों का शोषण एक गंभीर रूप ले चुका है। देश के कुल 14 करोड़ कामकाजी बच्चों में से लगभग आधे, बंधुआ मज़दूर क रूप में काम करते हैं।  विश्व में बच्चों पर होते इस दुर्व्यवहार ने मध्य प्रदेश के एक छोटे से शहर विदिशा के निवासी कैलाश सत्यार्थी को इस क़दर झकझोर दिया की उन्होंने उसी समय निश्चय कर लिया की वे संसार के अनाथ और बेसहारा बच्चों के विकास में ही अपना जीवन समर्पित कर देंगे। अपने इस जूनून को पूरा करने में इन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री को भी चिंता नहीं की। इन्होंने सबसे पहले बंधुआ बाल मजदूरों की स्थिति का अध्यन किया, फिर अपने आपको संगठित कर और स्थानीय प्रशासन से सहायता लेकर अवैध बाल श्रमिक केंद्रों पर छापे भी मारे जिसके लिए इन्हें कई धमकियां भी मिलीं। लेकिन बिना अपनी जान की परवाह किये इन्होंने उन बच्चों को मुक्त कराकर उन्हें विस्थापित करना शुरू किया। इनके मुहीम से प्रभावित होकर समाज के कई संगठनों ने आगे बढ़कर इनकी सहायता करनी शुरू की जिसने इन्हें और भी मज़बूती दी।  इनके इस प्रयास को विशेष पहचान मिली इनके "बचपन बचाओ आंदोलन" से, जिसके तहत इन्होंने

मात्र 17 साल की उम्र में अपने Startup से United Nations द्वारा सम्मानित

आज समूचा विश्व पर्यावरण संरक्षण के प्रति अत्यंत गंभीर हो चूकाहै। मानव प्रजाति इसी प्रयास में है की कैसे अपने परिवेश को सुरक्षित बनाये। क्या बड़े, क्या छोटे, सभी सम्मिलित रूप से इस ओर प्रयत्नशील हैं।  दिल्ली के समीप गुरुग्राम शहर के अनुभव वाधवा ने भी अपने नन्हें कन्धों पर पर्यावरण को बचाने की बागडोर ले ली है। मात्र 17 साल की उम्र में ही आज ये Data Analyst, कंप्यूटर प्रोग्रामर और एक सफल उद्यमी बन गए हैं। अपनी कंपनी Tyrelessly के माध्यम से इन्होंने पर्यावरण संरक्षण की लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। Tyrelessly में पुराने टायरों को Recycle कर उन्हें बहुपयोगी बनाया जाता है।  अनुभव बचपन से ही बड़े मेधावी रहे हैं । वे हमेशा टेक्नोलॉजी का उपयोग सही दिशा में देखना चाहते थे। अपनी इसी सोच से साल 2013 में मात्र 13 साल की ही उम्र में इन्होंने अपनी Educational कंपनी TechApto बना ली थी। इसके बाद भी ये लगातार नित-नई खोजों में रूचि लेते रहे। एक बार स्कूल से घर लौटते समय इन्होंने सड़क के किनारे पुराने टायरों को जलते देख इन्हें Recycle की बात सोची और उसी समय इनके दिमाग में Tyrelessly ने जन्म लिया। अन

इसे बदलने से जिंदगी बदल सकती है 👇

Sometime we don't need to change everything around us, we just need to change one thing and everything will start changing and the one thing is  our "mind set" because everything depends on mindset if we change the way we thinking  our life is to start changing. हमें अपने आसपास के माहौल को बदलने की जरूरत नहीं है किसी और को बदलने की जरूरत नहीं है। बस एक चीज बदलने से सब कुछ बदलना शुरू हो जाएगा और वह चीज है हमारा "माइंड सेट"  हमारी सोच। जिस दिन सोच बदल गई ना उस दिन से सब कुछ बदलना शुरू होता है और जब तक सोच नहीं बदलती तब तक कुछ नहीं बदलता। भले ही आप कुछ भी कर लो, लेकिन जिस दिन सोच बदल जाती है उस दिन से सब कुछ बदलना शुरू हो जाता है । hi its @pundir_tajveer ! I'd love to keep in touch. follow me on Instagram https://www.instagram.com/pundir_tajveer It would mean so much to me if you subscribe to my YouTube channel https://www.youtube.com/tajveerpundir

नया साल हमारे लिए एक मौका है या मुसीबत?

नया साल हमारे लिए एक मौका है या मुसीबत?  कुछ लोगों को नया साल 1 नए मौके के रूप में लगता है लेकिन कुछ लोगों को नया साल एक मुसीबत की तरह लगता है। हमें नया साल मिला है हर साल, हर महीना, हर दिन , हर मिनट, हर 1 सेकेंड हमारे लिए एक मौका है हमारी जिंदगी को बदलने का,हमारी लाइफ में आगे बढ़ने का, कभी भी 1 मिनट में जिंदगी नहीं बदलती है लेकिन एक मिनट  सोच कर लिया हुआ फैसला पूरी जिंदगी को बदल देता है। अभी आपके ऊपर निर्भर है आप एक पॉजिटिव फैसला लेकर अपनी जिंदगी बदल लें या फिर एक नेगेटिव सोच के साथ फैसला ले। दो तरह के लोग इस दुनिया में होते हैं एक आशावादी और दूसरे निराशावादी जो आशावादी लोग रहते हैं उन्हें हर मुश्किल हर परेशानी मैं भी एक अवसर दिखता है और जो निराशावादी व्यक्ति रहता है उससे हर सलूशन में एक प्रॉब्लम नजर आती है उसे हर अपॉर्चुनिटी में डिफिकल्टी नजर आती है आपको यह डिसाइड करना है कि आप आशावादी व्यक्ति हैं या निराशावादी व्यक्ति हैं ? hi its @pundir_tajveer ! I'd love to keep in touch. follow me on Instagram https://www.instagram.com/pundir_tajveer It would mean so much to me if

Motivational Quote

"life without dreaming is a life without meaning." "Make every day counts." Every day is a new opportunity. Hi its Tajveer Pundir ! I'd love to keep in touch. follow me on Instagram https://www.instagram.com/pundir_tajveer It would mean so much to me if you subscribe to my YouTube channel https://www.youtube.com/tajveerpundir