"मंज़िलें चाहे कितनी भी ऊंची क्यों न हों, रास्ते हमेशा हमारे क़दमों तले ही होते हैं" - इस प्रेरक प्रसंग से प्रेरित होकर इरा सिंघल ने अपनी शारीरिक विकलांगता को हराते हुए जीवन की बुलंदियों को छू लिया है। इरा सिंघल पहली ऐसी महिला हैं जो शारीरिक रूप से 60% विकलांग होते हुए भी साल 2014 की UPSC की परीक्षा में प्रथम स्थान पर रहीं।
यूं तो UPSC द्वारा आयोजित सिविल सर्विसेस की परीक्षाओं की passing percentage बमुश्किल 0.30% ही हो पाती है लेकिन जिनके हौसले बुलंद होते हैं, सफलता उन्हीं के क़दम चूमती है। साल 2014 की UPSC की परीक्षा की नतीजे कुछ ख़ास थे क्योंकि इसके पहले चार स्थानों में महिलाओं ने ही बाज़ी मारी थी और उससे भी विशेष बात ये थी की पहले स्थान पर आने वाली महिला शारीरिक रूप से 60% विकलांग थी। ये थीं मेरठ की इरा सिंघल जिन्होंने ये साबित कर दिखाया की मेहनत और बुलंद हौसलों की आगे विकलांगता भी अपने घुटने टेक देती है।
इरा को अपनी विकलांगता की कारण कई कठिनाईओं का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी। रीढ़ की हड्डियों की गंभीर बिमारी Scoliosis से जूझती इरा कभी डॉक्टर बनना चाहतीं थीं। लेकिन अपनी इस बीमारी के कारण वे अपने इस सपने को पूरा नहीं कर पाईं। इरा हमेशा से कुछ ऐसा करना चाहतीं थीं जिससे दूसरों का जीवन बदला जा सके। इसके लिए इन्होंने कंप्यूटर इंजीनियरिंग की बाद MBA किया और Cadbury जैसी MNC में नौकरी भी की। साथ ही वे सिविल सर्विसेस की भी तैयारी करती रहीं।
साल 2010 में इन्हें इसमें सफलता भी मिली जिसमें ये Indian Revenue Services की लिए नियुक्त हुईं लेकिन कुछ प्रशासनिक अड़चनों के कारण इनकी नियुक्ति पर रोक लगा दी गयी जिसके लिए इन्होंने कानूनी लड़ाई भी लड़ी और इन्हें जीत हासिल हुयी और वे Central Excise Services में सहायक आयुक्त के पद पर नियुक्त हुईं। इसके बाद भी इरा सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुटी रहीं और साल 2014 में इस परीक्षा में प्रथम स्थान पर रहीं। अंततः इरा ने अपने आत्मबल और दृढ-संकल्प की दम पर ये साबित कर दिखाया की भले ही वे शारीरिक रूप से सक्षम न हों, लेकिन मानसिक रूप से वे बहुत शक्तिशाली हैं।
आज प्रशासनिक सेवाओं पर आसीन इरा महिलाओं, बच्चों और शारीरिक रूप से असक्षम लोगों के कल्याण में अपना जीवन अर्पित करना चाहती हैं। राष्ट्र इरा जैसे व्यक्तित्व पर गर्व करता है क्योंकि ऐसी विभूतियाँ ही ये साबित कर देती हैं की इस संसार में बुलंद हौसलों के आगे असंभव कुछ भी नहीं।
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