आने वाले कल की उपलब्धियों की राह में केवल एक बाधा है, और वे हैं हमारे आज के संदेह - फ्रैंकलिन डी रूज़वेल्ट
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1. भोजन मुफ्त में नहीं मिलता
एक राजा ने अपने सलाहकारों को बुला कर उनसे बीते हुए इतिहास और उनके पूर्वजों की वीरता की सारी समझदारी भरी बातें लिखने के लिए कहा , ताकि आने वाली पीढ़ियों को उससे कुछ सीख मिले और वो बाते उनको प्रेरित कर सक। तो उन सभी ने काफी मेहनत से कई किताबें लिखी और उन्हें राजा के सामने पेश किया। राजा को वो किताबे काफी भरी भरकम लगी। उसने उन सलाहकारों से कहा की लोग इन्हे पढ़ नहीं पाएंगे, इसलिए इन्हे छोटा करो। सलाहकारों ने फिर काम किया मेहनत की और सभी किताबों से कुछ कुछ बातों को लेकर एक किताब बनाई , और उसे लेकर राजा के पास पहुंचे। राजा को वह भी काफी मुश्किल लगी। सलाहकारों ने उसे और छोटा किया और इस बार वे केवल एक CHAPTER लेकर आये। राजा को वह भी काफी लम्बा लगा। तब सलाहकारों ने और मेहनत करके केवल एक पन्ना पेश किया। लेकिन राजा को एक पन्ना भी लम्बा लगा। आखिरकार वे राजा के पास केवल एक वाक्य लिख कर ले आये और राजा उससे संतुष्ट हो गया। राजा ने कहा कि अगर उसे आने वाली पीढ़ियों तक समझदारी का केवल एक वाक्य पहुँचाना हो तो वह यह वाक्य होगा, "भोजन मुक्त में नहीं मिलता "
"भोजन मुक्त में नहीं मिलता " मतलब दरसल यह है कि हम कुछ दिए बिना कुछ पा नहीं सकते। दूसरे लफ्जों में कहें , तो हम जो लगाते हैं , बदले में वही पाते हैं , अगर हमने किसी बिज़नेस PLAN में ज्यादा लागत नहीं लगायी है , तो हमको ज्यादा फायदा भी नहीं मिलेगा।
बेसक , हर समाज में ऐंसे मुफ्तखोर भी होते हैं , जो कुछ किये बिना ही पाने की उम्मीद लगाए रहते हैं।
2. आसान रास्ता काफ़ी मुश्किल रास्ता साबित हो सकता है
एक बार एक लार्क चिड़ियाँ जंगल में गाना गा रही थी। तभी, एक किसान उसके पास से कीड़ों का एक संदूक लेकर गुजरा। लार्क चिड़ियाँ से उसे रोका और उससे पूछा, "तुम्हारे संदूक में क्या है और तुम कहाँ जा रहे हो ?"
किसान ने जबाब दिया की उस संदूक कीड़े हैं और वह उन्हें बेचकर पंख खरीदने जा रहा है। तो लार्क ने कहा की "पंख तो मेरे पास भी हैं तुम ये कीड़े मुझे दे दो और में तुम पंख दे देती हूँ" , फिर मुझे अपने भोजन के लिए कीड़े तलाशने के किये कहीं भी नहीं जाना पड़ेगा।
तो किसान पक्षी को कीड़े दे दिए और लार्क ने अपना एक पंख निकालकर उसे दे दिया। उसके बाद रोज यही सिलसिला चलता रहा , और एक दिन ऐंसा भी आया , जब लार्क के पास कोई भी पंख नहीं बचा। और वह उड़कर कीड़े तलाशने लायक भी नहीं रही। वह भद्दी दिखने लगी , और उसने गाना छोड़ दिया। बिना भोजन के जल्द ही वह मर गयी।
यही बात हमारी जिंदगी के लिए भी सच है। कई बार हमें जो रास्ता आसान लगता है , वही बाद में मुश्किल साबित होता है।
इस कहानी का सन्देश बहुत ही साफ़ है। लार्क को जो भोजन हांसिल करने का आसान तरीका लगा था , वही मुश्किल और नुकसानदेह तरीका साबित हुआ।
3. इसका अंत कहाँ है ?
एक लालची किसान से कहा गया कि वह दिन में जितनी जमीन पर चलेगा , वह उसकी हो जाएगी , बशर्ते वह सूरज डूबने तक शुरू करने की जगह पर वापस लौट आये। ज्यादा से ज्यादा जमीन पाने के लिए वह किसान दूसरे दिन सूरज निकलने से पहले ही निकल पड़ा। वह काफ़ी तेज़ी से चल रहा था क्युकी वह ज्यादा से ज्यादा जमींन हांसिल करना चाहता था। थकने के बाबजूद वह सारी दोपहर चलता रहा , क्योकि वह जिंदगी में दौलत के लिए हांसिल हुए उस मौके को गँवाना नहीं चाहता था।
दिन ढलते वक़्त उसे वह शर्त याद आयी की उसे सूरज डूबने से पहले शुरुआत जगह पर पहुंचना है। अपने लालच की वजह से वह उस जगह से काफी दूर निकल आया था। वह वापस लौट पड़ा। सूरज डूबने का वक़्त ज्यों ज्यों करीब आता जा रहा था, वह उतनी ही तेज़ी से दौड़ता जा रहा था। वह बुरी तरह थक कर हांफने लगा फिर भी वह बर्दास्त से अधिक तेज़ी से दौड़ता रहा। नतीजा यह हुआ की सूरज डूबते डूबते वह शुरुआत वाली जगह पर पहुंच तो गया , पर उसका दम निकल गया , और वह मर गया। उसको दफना दिया गया, और उसे दफ़न करने के लिए जमीन के बस एक छोटे से टुकड़े की ही जरुरत पड़ी।
इस कहानी में काफी सच्चाई और एक सबक छिपा है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की किसान अमीर था या गरीब। किसी भी लालची आदमी का ऐसा ही हश्र होता है।
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