मन में जिनके विश्वास होता है
वही ज़माने में नाम करते हैं ,
जिनके होंसले होते हैं बुलंद
वह लोग अक्सर बड़े काम करते हैं।
ऐंसी ही कुछ कहानी है लक्मण राव जी की, जिन्होंने लोगों को चाय पिलाते पिलाते लिख डाली 25 किताबें और बहुत से अवार्ड और सम्मान के साथ आज चायवाला के साथ २५ किताबों के लेखक भी हैं। बहुत सारे बिदेशी newspaper के headline भी बन चुके हैं। यूरोप में बहुत सारे newspaper में इनके बारे में आर्टिकल भी छपे हैं।
Laxman Rao जी का जन्म 22 July 1952 को तालेगांव दशासर अमरावती महाराष्ट्र में एक गरीब परिवार में हुआ था। बचपन से ही इनकी पढ़ाई में काफी रूचि थी. जब ये सातवीं आठवीं कक्षा में थे तो उस समय इनके गांव के काफी सारे दोस्त शहर में पढ़ते थे और जब वे छुट्टी में घर आते थे तो कुछ किताबे और उपन्यास (NOVAL) भी साथ में लाते थे,तो लक्मण राव जी उन्हें मांगकर वो साहित्य पड़ते थे। उस समय में गुलसन नंदा जी के उपन्यास काफी प्रसिद्ध थे, तो उनके साहित्य पढ़ कर लक्मण जी काफी प्रभावित हुए और बाद में खुद खरीदकर भी साहित्य पढ़ने लगे। उस समय पर 1 , 1.5, 3 रूपये में साहित्य की बुक मिल जाती थी। लक्मण जी ने बहुत सारे उपन्यास पड़े, और वहां से उन्हें गुलसन नंदा जी की तरह बनने की प्रेरणा मिली। और कहते हैं न किसी चीज को अगर आप दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे आपसे मिलवाने में लग जाती है बस आपके सपने बड़े होने चाहिए और आपको खुद पर विश्वाश होना चाहिए तो आपको व सब मिल ही जाता हैं , लेकिन उसके लिए मेहनत तो करनी ही पड़ती है कीमत तो चुकानी ही पड़ती है।
लक्मण जी गुलसन नंदा जी की तरह बनना तो चाहते थे लेकिन उनकी आर्थिक स्तिथि भी ठीक नहीं थी और उस तरह की उनकी शेक्षणिक योग्यता भी नहीं थी। तो मात्र दसवीं तक की पढ़ाई करने के बाद लक्मण जी काम की तलाश में दिल्ली आ गए। लेकिन कोई ढंग की जॉब नहीं मिली क्योकि शेक्षणिक योग्यता उतनी ज्यादा थी नहीं। तो चाय की छोटी से दुकान से शुरुआत की जिससे उनका घर खर्चा चलने लगा । थोड़े समय बाद चाय की दुकान से थोड़ी ठीक ठीक ठाक आमदनी होने लगी जिससे घर थोड़ा अच्छे से चलने लगा।
वो काम के साथ साथ उपन्यास पढ़ते और किताबें लिखते थे , उनके सामने चैलेंज तो काफी थे क्युकी उन्होंने दसवीं तक की पढ़ाई मराठी भाषा में की थी और उनकी रूचि हिंदी में थी, किताबे लिखना और उपन्यास वो हिंदी में पढ़ते लिखते थे। तो काफी सारे लोग उनसे पूछते थे की वो ज्यादा पढ़े लिखे तो नहीं हैं फिर ये सब काम कैंसे कर लेते हो , इसलिए उन्होंने अपने पढ़ाई को जारी रखने का सोचा और 37 साल की उम्र में बारवी की पढ़ाई पूरी की और दिल्ली UNIVERCITY से 50 साल की उम्र में BA की पढ़ाई पूरी की और 63 साल की उम्र में IGNOU से हिंदी में MA की पढ़ाई की।
1978 में जब वो अपनी चाय, पान मसाला की दुकान चला रहे थे तो उस समय उन्होंने काफी सारे लोगो के कहने और सलाह पर PUBLICER से मिलकर अपनी बुक PUBLICE के बारे में सोचा। तो जब वो काफी सारे पब्लिसर्स से मिले तो सब ने उन्हें रिजेक्ट किया ,लक्मण जी तो ये सपना देख कर पब्लिसर्स के पास गए थे की उनकी बुक्स छपेगी तो पब्लिसर्स के माध्यम से उन्हें रॉयल्टी मिलती रहेगी, लेकिन यहाँ तो सब उल्टा हो रहां था, कोई उनसे पैसे मांग रहा था तो कोई कुछ, लेकिन लक्मण जी के पास उतना पैसा तो नहीं था तो किसी भी पब्लिसर उनकी बुक नहीं छापी , यहाँ तक की किसी भी पब्लिसर्स ने उनकी किताबें तक नहीं देखी , लेकिन लक्मण जी ने हार नहीं मानी और अपना रास्ता खुद चुना और अपनी बुक्स को खुद पब्लिस करने लगे।
काफी सारे लोगों के लिए तो लक्मण जी सिर्फ एक चाय वाला होंगे लेकिन जिन्होंने इनकी बुक्स पढ़ी हैं या जो लोग इन्हे जानते हैं वो इन्हे "लेखक जी" कहकर बुलाते हैं, जो एक बहुत बड़े सम्मान की बात है। राष्ट्रपति भवन के किसी बरिष्ठ अधिकारी ने जब विदेशो में इनके बारे में पढ़ा तो वो खुद इनसे मिलने भी आये और इन्हे अति विशिष्ठ ब्यक्ति का पुरुष्कार भी दिया।
लक्मण जी के बारे में विदेशी मीडिया में भी काफी सारे आर्टिकल छपे हुए हैं जैसे लन्दन के THE GAURDIAN , NEW YORK TIME , BBC आदि में
लक्मण राव जी इस उम्र में भी चाय बेचने के साथ साथ किताबे लिखने के लिए भी समय निकल ही लेते हैं ,
उनका मानना है की अगर आप किसी काम को दिल से पसंद करते हैं तो उसके लिए समय निकल ही जाता हैं ,
SHAKESPEAR की किताबों से प्रभावित होकर लक्मन जी ने भी अपनी किताबों का कवरपेज B & W रखा क्युकी इनका मानना हैं की B & W साहित्य का रंग है। इन्होने अपनी प्रत्येक पुष्तक की PRICE 300 रूपये रखी है , क्युकी इनका मकसद है की इनकी किताबे जन जन तक पहुंचे , इनकी किताबे FLIPKART और AMAZON पर ऑनलाइन भी बिकती हैं।
लक्मण राव जी के द्वारा लिखी गयी कुछ किताबें और उपन्यास
Books
1.Premchand Ka Vyyaktitva
2.The Barrister Gandhi
3.Bhartiya Arthshastra
3.Pradhanmantri: Indira Gandhi Ke Karyakaal Par Aadharit
4.Drishtekonn: Vartamaan Ghatnaon Par Aadharit
5.Abhivyaktie: Jwalant Samasyaon Par Aadharit Sahityik Vishleshan
6.Adhyapak: Hindi Play
7.Mannviki Hindi Sahitya
8.Ahannkarr: Satya Ghatnaon Par Aadharit Sahityik Vishleshan
9.Betiyoon Ka Astitva: Motivational Book
10.Navyuvakon Ka Uttardayitvva: Motivational Book
Novels
1.Nai Duniya Ki Nai Kahani (First Novel, 1979)[5]
2.Rammdas: Vidyarthi Jeevan Par Aadharit Shikshaprad Upanyas
3.Dansh: Samajik Ghatnaon Par Aadharit Prernatmak Upanyas
4.Renuu: Mahila Pradhan Prernatmak Upanyas
5.Pattiyon Ki Sarsaraahat: Samajik Bandhanon Par Aadharit Maarmik Upanyas
6.Narmmada: Prem Prasangon Par Aadharit Maarmik Upanyas
7.Love Beyond Social Confines: Romantic Suspense Novel
लक्मण राव जी पर हमें गर्व है अगर हम कुछ करने के लिए दृढ संकल्प ले तो वो जरूर पूरा होता है।
जय हिन्द वन्दे मातरम
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