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क्रिकेट के जूनून ने गुरूद्वारे में शरण लेने के लिए मजबूर किया

Rishabh pant story

हम सभी अपने जीवन में कुछ नया, अच्छा और आकर्षक करने का सपना देखते हैं और उसे पूरा करने के लिए अपनी जी-जान से उसमे डूब भी जाते हैं। पर हमारे बीच वही सफल होते हैं जो पूरे विश्वास और दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ते हैं। इसी जज़्बे की एक बहुत बड़ी मिसाल है क्रिकेट जगत के आजके उभरते बल्लेबाज और विकेट कीपर ऋषभ पंत। ऋषभ IPL के माध्यम से उभरे और अपनी ताबड़तोड़ बल्लेबाजी से इन्होने कुछ ही दिनों में हर किसी का दिल जीत लिया। लेकिन ऋषभ का यह सफर इतना आसान भी नहीं रहा। रुड़की के एक बिलकुल ही साधारण से परिवार में जन्मे ऋषभ ने वो दिन भी देखे हैं जब उन्हें दिनभर के भोजन के लिए गुरूद्वारे की शरण लेनी पड़ती थी। फिरभी क्रिकेट के अपने सपने को पूरा करने में इन्होने अपनी जीतोड़ मेहनत लगा दी। भारतीय टीम में अपने नटखट अंदाज़ के लिए मशहूर ऋषभ अपने बचपन में बड़े ही गंभीर और शांत स्वभाव के थे। लेकिन क्रिकेट के प्रति गहरी रूचि के लिए वे अपने मातापिता से काफी डांट फटकार सुनते थे। पढ़ाई में वैसे भी ऋषभ का मन कुछ खास नहीं लगता था। क्रिकेट के प्रति अपने इस पागलपन से आखिर इन्होने अपने परिवार वालों को मना ही लिया। 10-12 साल की उम्र तक पहुँचते ही इन्हें दिल्ली के एक क्रिकेट टैलेंट हंट में अपना हुनर दिखाने का मौका मिला और वहाँ उनका चयन भी हो गया। यहीं दिल्ली के सोनेट क्रिकेट क्लब में वे प्रशिक्षण के लिए हरिद्वार से हफ्ते में दो दिन दिल्ली आने लगे। लेकिन इतनी छोटी उम्र में इस प्रशिक्षण के चलते इन्हें कई मुशीलें उठानी पड़ीं। पैसे की कमी के कारण इन्हें मजबूरन गुरूद्वारे की शरण लेनी पड़ती। इसी तरह प्रशिक्षण पाते पाते अपने एक कोच के सुझाव पर ये कुछ दिन राजस्थान से Under-14 और Under-16 की टीमों में खेलने लगे। लेकिन वहाँ की कुछ भेदभाव की नीतियों के कारण वे वापस दिल्ली चले आये। यहाँ इनकी उत्कृष्ट बल्लेबाजी और विकेट कीपिंग के बलपर 2015 में इन्हें दिल्लीं की रणजी टीम से खेलने का मौका मिला। इसके बाद इन्हें भारत की World Under-19 की टीम में भी जगह मिल गयी। इस टीम में खेलते हुए अपनी धुआंधार प्रदर्शन के चलते 2017 के T-20 टीम में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। इस समय ये भारत के T-20 खेलने वाले सबसे काम उम्र के खिलाड़ी थे। इसके बाद तो इन्हें 2018 में भारत के इंग्लैंड और वेस्ट इंडीज़ दौरे में टेस्ट खिलाड़ी का दर्जा भी मिल गया। हालाँकि टेस्ट मैचों के अबतक के अपने करियर में ऋषभ ने करीब 50% के औसत बल्लेबाजी की लेकिन अपनी IPL प्रदर्शन से इन्होने अपनी स्थिति काफी मजबूत कर ली है। भारतीय क्रिकेट में ऐसे खिलाड़ी बड़ी ही मुश्किलों से मिल पाते हैं जो इतने कम समय में इतने बड़े मुक़ाम पर पहुँच पाएं। ऋषभ ने अपनी इस यात्रा से ये साबित कर दिया की राहें चाहे कितनी भी मुश्किल क्यों न हों, अपने दृढ़ निश्चय से अपनी मंज़िल तक पहुंचना आसान हो जाता है। हमें आशा है की ऋषभ अपने शानदार प्रदर्शन से भारतीय क्रिकेट जगत को अपना महत्वपूर्ण योगदान देते रहेंगे।

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