D-Mart की कहानी अपने आपमें एक प्रेरणा है। इसके संस्थापक राधाकृष्ण दमानी एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने बिना किसी बड़ी पूँजी के करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर दिया और ये साबित कर दिया की कैसे शून्य से उठकर जीवन की बुलंदियों को छूआ जा सकता है।
राधाकृष्ण दमानी ने अपना जीवन बॉल बेअरिंग के ट्रेडिंग से शुरुआत की। इनके भाई स्टॉक मार्केट का बिज़नेस करते थे। पिता की अचानक मृत्यु ने इनके परिवार को अव्यवस्थित कर दिया था। इन्हें अपने बॉल बेअरिंग के बिज़नेस को बंद करना पड़ा। इसके बाद ये अपने भाई के साथ स्टॉक मार्केट के बिज़नेस में आगे बढ़े और काफी कुछ अच्छा भी करने लगे थे। बहुत पैसे भी कमाए। एक समय तो ये दलाल स्ट्रीट के सबसे बड़े ब्रोकर भी बने। लेकिंग जल्द ही इस बिज़नेस के भेड़िया-चाल से ये ऊब चुके और अपना ही कुछ काम करने का विचार किया। एक छोटी सी पूँजी लगाकर इन्होने डी-मार्ट की नीव रखी।
अपनी कुछ विशेषताओं के कारण डी-मार्ट लगातार उन्नति किये जा रहा है। दमानी जी ने हमेशा मध्यम वर्ग के ग्राहकों का ध्यान रखते हुए उन्हें अधिकतम डिस्कॉउंटस दिया। इनके 90% से अधिक स्टोर्स अपने ही हैं, इसलिए किराये की कोई समस्या ही नहीं। अपने वेंडरों का भुगतान ये हर 10वें दिन कर देते हैं। ये अपनी कंपनी में एक पारिवारिक माहौल बनाये रखते हैं और हमेशा सही ऐटिटूड और कमिटेड कर्मचारी रखते हैं, भले ही वे कम पढ़े-लिखे ही क्यों न हों। डी-मार्ट अपने प्रतिद्वंदियों से हमेशा आगे इसलिए होते हैं क्योंकि ये 6 से 7% कीमतें कम रखते हैं। डी-मार्ट अपनी प्रॉपर्टी के कारण बहुत बड़ी बचत कर पाते हैं। ये कभी भी बड़े-बड़े मॉल्स में अपने स्टोर्स नहीं खोलते क्योंकि इससे भी काफी खर्च बच जाता है।
साल 2000 के शुरुआत में जब रिटेल बिज़नेस एक स्वप्न ही था, उस समय दमानी जी ने ही इसकी शुरुआत की। इन्होने इस रिटेल बिज़नेस का और ग्राहकों की प्रवृत्ति का गहन अध्यन कर डी-मार्ट की छवि को उजागर किया। आज देश के 200 से अधिक शहरों में अपने स्टोर्स के साथ अपनी सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते हुए, डी-मार्ट की साल 2018 में वार्षिक आय 15 हज़ार करोड़ तक पहुँच गयी है।
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