एक बार एक कुम्हार मिट्टी से कुछ बना रहा होता है , तो उसकी पत्नी उसको पूछती है की ये आप क्या बना रहे हो। तो बताता है की वह मिट्टी से चिल्लम बना रहा है, चिल्लम बहुत बिकेगी, इसका आजकल बहुत fashion है तो खूब बिकेगी और हम बहुत सारा पैसा कमा लेंगे।
तो पत्नी ने बोला गर्मी का मौसम है सुराही क्यों नहीं बनाते हो वो भी बिकेगी और बहुत सारा पैसा कमावोगे, कुम्हार को लगा की बात तो सही है , तो उसने चिल्लम बनना छोड़कर मिट्टी को घुमाना सुरु किया और सुराही बनाने लग गया।
मिट्टी में से आवाज आयी ये क्या कर रहे हो पहले तो कुछ और बना रहे थे अब कुछ और बना रहे हो।
तो कुम्हार बोला मेरा विचार बदल गया है, पहले चिल्लम बना रहा था अब सुराही बना रहा हूँ।
मिट्टी जबाब दिया तेरा तो विचार बदला है मेरी तो जिंदगी ही बदल गयी है।
चिल्लम बनती तो आग भरी जाती ,खुद भी जलती दूसरों को भी जलाती , सुराही बनूँगी तो जल भरा जायेगा खुद भी शीतल रहूंगी दुनिया को भी शीतल रखूंगी।
विचार बदलने जिंदगी बदल जाती है।
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